नमस्कार दोस्तो आज के इस आर्टीकल में आपका स्वागत है आज के इस आर्टीकल में जानेगें की इंटरनेट कैसे काम करता है आज के समय मे सभी के पास स्मार्टफोन है और वो सभी लोग फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम, गूगल ओर यूट्यूब जैसे कई फ्लेटफॉर्म फॉर्म अपना अपना जरूरत मंद चीजों को खोजते है और अपना काम का अंजाम देते है
हमसे दूर हजारो मील दूर बैठे व्यक्ति कैसे दुनिया भर के सबसे बड़े इंटरनेट या अंतरजाल को मैनेज करता होगा आप जो इस आर्टिकल को पढ़ रहे है गूगल पर इंटरनेट के माध्यम से क्या अपने कभी सोचा है कि इंटरनेट कैसे चलता है इसके लिए क्या-क्या करना पड़ता है तो आज के पोस्ट हम इस सारे बातों को जानेगें तो चलिए शुरू करते है।
विषय सूची
इंटरनेट क्या होता है
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इंटरनेट एक जाल है जो दुनिया भर में कई सारे कम्प्यूटरों को जोड़ने का एक तार है आम भाषा मे कहाँ जाए तो इंटरनेट एक दूसरे का डेटा या सूचना आदान प्रदान करने का माध्यम है जो कम्प्यूटरों का एक बीच की दूरी का संबंध को इंटरनेट कहा जाता है
इंटरनेट कैसे काम करता है
चलिये जानते है कि इंटरनेट कैसे काम करता है दोस्तो आपको जानकर हैरानी होगी कि आपसे कई हजार किलोमीटर दूर एक डेटा सेंटर होता है जो इंटरनेट से जुड़े सभी चीजो को अपने अंदर स्टोर कर के रखता है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सबसे ज्यादा इस्तमाल किये जाने वाला यूट्यूब को लेते है आप जो यूट्यूब पर वीडियो देखते है चाहे जो भी वीडियो हो वो उसी डेटा सर्वर में स्टोर है
आपके दिमाग मे ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ये डेटा आपके फोन और कंप्यूटर तक कैसे आता है आप सोच रहे होंगे कि जो हमारे पास डेटा आता है वो सेटेलाइट के माध्यम से आता है तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि किसी भी वीडयो, ऑडियो या इमेज आप तक सेटेलाइट के माध्यम से पहुँचने का रास्ता वो कुछ ज्यादा ही लंबा होता है जिसे काफी रुकावटे आ सकती है हम आपको बता दे कि इंटरनेट ऑप्टिकल फाइबर के जड़िये हम सभी तक पहुँचाया जाता है
इंटरनेट का मतलब क्या होता है
चलिये जान लेते है कि इंटरनेट का मतलब क्या होता है आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इंटरनेट एक अंग्रेजी शब्द "Internetworked" से लिया गया है जिसका हिंदी अर्थ "अंतरजाल" होता है
ऑप्टीकल फाइबर कैसे काम करता है
ये ऑप्टिकल फाइबर डेटा सेंटर ओर आपके डिवाइस के बीच मे जुड़ता है आपको जानना बहुत जरूरी है कि हर एक डिवाइस इंटरनेट से जुड़ा है चाहे सर्वर हो या कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन सभी सभी ip address के जड़िये अज्ञात नंबर से विशेष रूप से पहचाने जाते है ठीक उसी प्रकार जैसे आपके घर का एड्रेस होता है और जब आपको कुछ भेजना होता हैं तो आपके घर पर ही भेजा जाता है
ठीक उसी प्रकार मोबाइल को सभी चीजो का अपना-अपना आईपी एड्रेस होता है जिसके जड़िये इंटरनेट का डेटा आपके फ़ोन या कंप्यूटर तक आसानी से पहुँचता है अब आप जिस किसी से इंटरनेट लेते है चाहे मोबाइल का होर्ट्सपोर्ट या किसी बड़ी सर्वर सभी लोग इंटरनेट आपके आईपी एड्रेस के जड़िये ही देते है हालांकि की के सर्वर में भी एक आईपी एड्रेस होता है जो सर्वर वेबसाइट से जोड़ता है आप आईपी एड्रेस को जानकर किसी भी वेबसाइट का इस्तमाल कर सकते है
हालाकिं किसी व्यक्ति को इतने सारे आईपी एड्रेस को याद करना मुश्किल है इसी लिए मुश्किल को हल करने के लिए डोमेन नेम जैसे,HindiSikho.IN , Facebook.Com, ओर YouTube.Com आदि का उपयोग किया जाता है जो आईपी नम्बर के मुकाबले इसे याद करना आसान होता है एक सर्वर में कैसे सारे वेबसाइट को संग्रहित करने की क्षमता होती है और सर्वर के सभी वेबसाइट को सर्वर के आईपी एड्रेस से कनेक्ट नहीं किया जा सकता है
इंटरनेट का उपयोग करने के लिए हम हमेसा आईपी एड्रेस के बजाय हम हमेसा डोमेन नेम का प्रयोग करते है
डोमेन नेम के अनुरूप आईपी एड्रेस कहाँ से मिलता है
तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस काम को अंजाम देने के लिए इंटरनेट DNS विशाल फोन बुक का प्रयोग करता है अगर आप किसी भी व्यक्ति का नाम जानते है और आप उनका टेलीफोन नंबर नही जानते है तो केवल फोन बुक से देखकर नंबर जान सकते है डी एन ए सर्वर इंटरनेट को समान सेवाएं प्रदान करता है आपका इंटेरनेट संगठन DNA को मैनेज कर सकते है
डीएनए ओर आईपी एड्रेस कैसे काम करता है
जब आप डोमेन नेम गूगल पर सर्च करते है ब्रॉउजिंग संबंधित आईपी एड्रेस प्राप्त करने के लिए तो डी एन ए सर्वर पे अनुरोध भेजता है आइपी अड्रेस प्राप्त करने के बाद ब्रॉउजर डेटा सेंटर को अनुरोध फारवर्ड करता है जब एक बार किसी किसी सर्वर को वेबसाइट तक पहुचने का अनुरोध मिलता है तो डेटा प्रवाह शुरू हो जाता है डेटा ऑप्टिकल फाइबर केवल के माध्यम से डिजिटल प्रारूप में ट्रांसफर किया जाता है
विशेष रूप से कभी कभी डिस्टेंनेसन तो पहुँचने में ऑप्टिकल केवल को हजारो मिल तक तय करना पड़ता है और यात्रा के दौरान जैसे कठिन इलाको जैसे पहाड़, समुद्र के नीचे से गुजरना होता है हालांकि की कुछ कंपनियां ऑप्टिकल केवल को बिछाती है ये ऑप्टिकल1फाइबर इंटरनेट के रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है जो पूरी तरह आते है जो पहाड़ ओर समुद्र से लेकर आपके घर के दरवाजे तक आता है
जहां वो राइडर द्वारा जुड़े होते है राइडर इन लाइट सिंग्नल को इलेट्रिकल सिंग्नल में बदलता है फिर अर्थेन्त केवल के जड़िये राइडर से आपके लेपटॉप या फिर स्मार्टफोन तक इंटेरनेट को पहुँचाया जाता है अब तो आप समझ गए होंगे कि इंटरनेट कैसे काम करता है अगर आप अच्छी तरह से समझ गए है तो आगे दोस्तो में शेयर करिए ओर कोई सवाल हो तो कामेंट में पूछ सकते है।
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