आज का हमारा आर्टीकल धार्मिक होने वाला है इस आर्टिकल में हम जानेगें की दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है और दुर्गा पूजा पर निबंध,10 लाइन,500 शब्द पौराणिक कथा के अनुसार माँ दुर्गा के साथ महिंसासुर के साथ 9 दिन तक युद्ध हुआ इसी के उपलक्ष्य में नवरात्रि मनाई जाती है दुर्गा पूजा में हर साल भारत देश अनेको जगहों पर बहुत ही धूम-धाम से मनाई जाती है।
दुर्गा पूजा के समय को नवरात्रि कहाँ जाता है दुर्गा पूजा यानी नवरात्रि का नाम सुनते ही हमे बंगाल और कोलकता की याद आती है वैसे तो दुर्गा ये पूजा भारत के हर शहर हर गांव में मनाया जाता है लेकिन बंगाल और कोलकाता की दुर्गा पूजा की बात ही कुछ अलग होता है दुर्गा पूजा मानाने का मकसद बुराई के ऊपर अच्छाई के जीत के याद में बनाई जाती है।
यह पूजा नारी शक्ति के सम्मान के लिए मनाई जाती है कहा जाता है श्रीरामचंद्र जो ने आश्विन शुक्लपक्ष दशमी को रावण पर विजय पाने के लिए शक्तिपूजा की थी जिसके फलस्वरूप उन्हें रावण जैसे दुष्ट और आततायी पर विजय मिली थी विजयादशमी इसी विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है दूसरी एक कथा के अनुसार इसी दिन माँ दुर्गा ने रणचंडी बन देवताओं के प्रबल शत्रु महिषासुर का मर्दन किया था।
इसीलिए उस दिन से इस दिवस को विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा। कथा जो भी हो, एक बात स्पष्ट है कि दानवता पर देवत्व की विजय असत्य पर सत्य की जीत के रूप में हम दुर्गापूजा मनाते हैं दुर्गा पूजा आने से पहले ही भारत देश के सभी शहरों में महीना पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है कई प्रकार के पंडाल बनाया जाता है और उसे काफी सुंदर सजाया जाता है।
इस पर्व को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार से मनाया जाती है कही डांडिया खेला जाता है तो कही नाच गाना होता है कहने का मतलब यह है कि सभी लोग माँ दुर्गा के भक्ति में डूब जाते है अगर आप हिन्दू धर्म से तालुक रखते है और आप दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन, 500 शब्द (The durga puja essay in hindi) में लेख चाहते है तो इस पोस्ट पर बने रहें।
दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है
साल में कुछ ऐसे पर्व आते हैं जो हमारे जीवन में नवचेतना का संचार कर जाते हैं इन पर्वो को मनाकर हम नई स्फूर्ति से भर उठते हैं मन में नई आशा की किरणें जाग उठती हैं ऐसे ही एक पर्व का नाम है दुर्गापूजा है दुर्गापूजा को दशहरा, विजयादशमी और नवरात्रपूजा के नाम से भी जाना जाता है यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है।
यह उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है इसके पीछे एक कथा है जो इस प्रकार है कहाँ जाता है कि महिंसा सुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था वह ब्रम्हा जी का बहुत बड़ा भक्त था और उसने घोर तपस्या कर के ब्रह्माजी जी ऐसा वरदान मांगा की उसे कोई भी स्त्री या पुरुष यानी उसे कोई भी दुनिया का ताकत मार न सके यानी वो अमरता का वरदान चाहता था।
लेकिन ब्रह्माजी ने ऐसा नही किया उन्हीने कहा मैं ऐसा वरदान नही दे सकता तुम कुछ और मांग लो तो फिर उसका कहा मुझे ऐसा वरदान दीजिये की मेरा मृतु केवल स्त्री के हाथ ही हो अन्यथा किसी ओर के हाथ न हो उसका मानना था कि स्त्री कमजोर और शक्तिहीन होती है।
इसके बाद उसने ऐसा तबाही पृथ्वीलोक और स्वर्गलोक सभी जगह हाहाकार मचने लगा सभी देवता लोग भागने लगे और वो त्रिदेव के पास गए ब्रह्मा,विष्णु और महेश लेकिन वो तीनो खुद विवस थे इसका कोई तोड़ नही था क्योंकि ब्रह्माजी ने खुद वरदान दिया था इस लिए कोई कुछ नही सोच पा रहा था फिर सोचकर ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनो ने एक शक्ति का जन्म दिया।
जिसने नाम दिया गया दुर्गा ओर वही दुर्गा महिंसासुर ओर सुम्भ निसुम्भ दोनों का वध किया फिर से देवो का स्वर्गलोक पर सासन हुआ उसी के बाद सभी लोग दुर्गा माता की पूजा होने लगी पर्व मनाने का समय जब श्री राम ने रावण से युद्ध से समय महादेव ओर माता दुर्गा की आशिर्वाद की जरूरत थी क्योकि महादेव का आशिर्वाद महादेव के साथ था रावण से विजय होने लोए भगवान राम ने माता दुर्गा की पूजा की थी।
दुर्गा पूजा पर निबंध 500 शब्द – Durga Puja Par Lekh
परिचय
दुर्गा पूजा को दशहरा, विजयादशमी और नवरात्र पूजा के नाम से भी जाना जाता है यह हिन्दुओ का एक प्रसिद्ध त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड और बंगाल में बड़े धूमधाम से बनाया जाता है।
महत्व
दुर्गा पूजा का शुरुआत कब से हुआ इसके बारे में अनेक मत है इसकी अनेक पौराणिक कथाएं देश के अलग अलग भागो में प्रचलित है जिसमे एक प्रसिद्ध कथाओ के अनुसार श्रीराम चन्द्र जी ने दशमी के दिन रावण पर विजय प्राप्त की थी इसी स्मृति में आजतक विजयदशमी का उत्सव मनाया जाता है दूसरी कथा के अनुसार माता दुर्गा ने चंडी का रूप लेकर देवताओ के शत्रु अहिषासुर का वध किया।
उसी दिन से यह पर्व मनाया जाता है इस पूजा के आरम्भ की कथा चाहे जो भी हो इतना स्पष्ट है की इसी दिन सत्य की जीत और असत्य की हार ही थी `देवताओ की जित और राक्षसों की हर हुई थी’ इसी ख़ुशी में भारत के लोग दुर्गापूजा का पर्व बनाते है और सभी लोग आपस में भेदभाव भूलकर भाई चारा के एक दुसरे में खुशियाँ बांटते है।
दुर्गापूजा का सामाजिक महत्त्व भी है इस अवसर पर संकल्पों को संजीवनी मिलती है लोग नए-नए कार्यों की शुरुआत करते हैं यह समय वर्षाऋतु की समाप्ति का समय होता है। अतः किसानों को इस समय कुछ फुरसत होती है वे बाजार-हाट घूमने एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शरीक होने तथा उनका आनंद लेने की स्थिति में होते हैं
इस तरह दुर्गापूजा का यह त्योहार जन-जीवन में एक नई आशा एवं उल्लास का संचार करता है हमें इस त्योहार के संदेशों को एक-दूसरे से बाँटना चाहिए रवं इसका भरपूर आनंद लेना चाहिए। यह पर्व हमें अपने अंदर की आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने का संदेश देता है।
पुर्जा की तैयारी
आशिवन के शुक्लपक्ष के आरम्भ में कलश-स्थापना होता है और उस दिन से माता की पूजा शुरू होती है यह पूजा दशमी तक चलती है और सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बड़ी धूमधाम से पूजा की जाती है नवमी तक `दुर्गासप्तशती’ को पथ होता है दशमी को यात्र की समाप्ति होती है।
यह दिन बड़ा शुभ माना जाता है भारतीय परिवारों में अच्छे कामो का शुभ्आरम्भ इसी दिन से किया जाता है सप्तमी के दिन दुर्गा माता की प्रतिमा किसी पवित्र स्थान पर स्थापित किया जाता है जिसकी पूजा दशमी तक चलती है कहाँ जाता है की भगवान राम ने दुर्गा पूजा की थी और उन्हें दुर्गा की सहायता से ही विजय प्राप्त हुआ था।
दुर्गा की महता का यही कारण है लोग नाच, गान, संगीत में डूब जाते है छोटे-बड़े नए कपडे पहनते है जिधर देखो उधर आनंद और उल्लास का सागर लहराता नजर आता है अत: दुर्गापुर्जा दुर्गा पुर्जा हिन्दुओ का एक बड़ा और प्रसिद्ध पर्व है।
सामाजिक महत्व एवं उपसंहार
दुर्गा पुर्जा का सामाजिक महत्व भी है वर्षाऋतु की सम्पति के बाद से वाणिज्य-व्यापार की उन्नति होती लोग जहाँ-तहां भ्रमण करने निकलते है इस समय देश की जलवायु अच्छी रहती है नई-नई फासले और हरी सब्जियां खाने को मिलती हिया खाना अच्छा से तथा आसानी से पचता है सबका स्वास्थ्य ठीक रहता है इस प्रकार दुर्गा पूजा भारतीय जीवन के लिए सुख, शांति और उन्नति का सन्देश लेकर आती है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन – 10 lines on Durga Puja
- दुर्गा पूजा भारत देश का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
- इस त्योहार को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्योहार आशिविन माह के शुक्ल पक्ष में दस दिन तक बनाया जाता है।
- माता दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय प्राप्य करने के कारण हम दुर्गा पूजा मानते।
- इस पर्व में हम माँ दुर्गा के नवो रूपों का पूजा करते है।
- दुर्गा पुर्जा के पवित्र अवसर पर जगह-जगह माता दुर्गा के बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते है।
- भक्त जन माँ दुर्गा व्रत रखकर जागरण और पूजन कार्य आयोजित करते है।
- दुर्गा पुर्जा भारत में स्त्रियों के सम्मान और देवी के शक्ति को दर्शाता है।
- दुर्गोत्सव के पर्व में दसवे दिन दशहरा या विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।
- हम दुर्गा पुर्जा की अच्छाई को बुराई पर जीत के रूप में मानते है।
दुर्गा पूजा कब बनाया जाता है
इस पर्व में नवरात्रपूजा का विधान है इस पूजा में दस दिनों का अनुष्ठान होता है आश्विन के शुक्लपक्ष प्रतिपदा के दिन कलश-स्थापन होता है और उसी दिन से पूजा आरंभ हो जाती है प्रतिपदा से नवमी तक दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है और दशमी को पूजा की पूर्णाहुति होती है
विजयादशमी का यह दिन बड़ा ही शुभ माना जाता है लोग नाच, गान, संगीत और नाटक का दिल खोलकर आनंद लेते हैं सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं एवं बाहर घूमने लगते हैं दुर्गापूजा हिंदुओं का एक बड़ा ही प्रसिद्ध और पवित्र पर्व है।
2022 में दुर्गा पूजा कब है – Durga Puja 2022 Date
अब आप दुर्गा पर निबंध पढने के बाद आपके मन में सवा आ रहा होगा की 2022 में दुर्गा महा नवमी या दुर्गा पूजा कब है 2022 की तारीख व मुहूर्त महानवमी दुर्गा पूजा का तीसरा और अंतिम दिन होता है इस दिन की आरम्भ भी महास्नान और षोडशोपचार पूजा से होती है महानवमी पर देवी दुर्गा की आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है
इसका मतलब है असुर महिषासुर का नाश करने वाली मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन और दुर्गा बलिदान जैसी परंपरा निभाई जाती है 2022 में दुर्गा पूजा अक्टूबर 3, 2022 को 16:39:33 से नवमी आरम्भ है और अक्टूबर 4, 2022 को 14:22:52 पर नवमी समाप्त हो जाएगी।
दुर्गा पुर्जा/नवरात्रि पुर्जा असत्य के ऊपर सत्य के जित के उपलक्ष्य में बनाया जाता है दुर्गा पूजा क्यों बनाया जाता है तथा दुर्गा पूजा पर निबंध अपने काफी अच्छी तरह से बनाया जाता ताकि हम सब को दुर्गा पुर्जा के बारे में अच्छी जानकारी मिल सकें के बारे अच्छी जानकारी मिल सकें।
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